दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं अर्थिंग के बारे में। जहां हम जानेंगे How To Make Earthing For House मतलब अगर आपके घर में वायरिंग हो चुकी है तो उस घर की अर्थिंग कैसे की जाए उसके बारे में आज हम बात करेंगे।
इस आर्टिकल में केवल अर्थिंग कैसे की जाती है इसके बारे में ही नहीं बल्कि अर्थिंग करना क्यों जरूरी है क्या-क्या अर्थिंग के लिए मैटेरियल लगता है और अर्थिंग करने से घर में आने वाली कौन-कौन सी प्रॉब्लम से छुटकारा मिलता है इसके बारे में बात करेंगे।
बरसात के समय में हम सब ने ऐसा महसूस किया होगा यदि घर की दीवारों पर नमी होती है तो घर में अर्थिंग ना होने की वजह से हमें हल्के करंट के झटके लगते हैं। और कभी कभी यदि जमीन पर नंगे पाव पैर रखकर लैपटॉप, टीवी या और कोई भी इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट्स को छूने पर हमें बिजली के झटके का अनुभव होता है इसका मुख्य कारण है घर में अर्थिंग का ना होना।
What is Earthing?(अर्थिंग क्या है)
“अर्थिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी सहायता से किसी इलेक्ट्रिकल उपकरण के फॉल्ट होने की स्थिति में करंट को जमीन के अंदर भेज दिया जाता है।” जिसके कारण हमें किसी भी तरह का शॉक नहीं लगता।
चलिए दूसरे शब्दों में अर्थिंग को समझने की कोशिश करते हैं। ” जब भी कोई इलेक्ट्रिकल उपकरण खराब हो जाता है या फिर किसी तार के कट जाने की स्थिति में उस में बह रही करंट उस उपकरण के बाहर बहने लगती है। जैसे यदि कोई मोटर जिसकी बाइंडिंग जल जाए या फिर मेन वायर मोटर के बॉडी से लग जाए और कोई व्यक्ति इस मोटर को गलती से छू ले तो उसे बिजली का बहुत ही तेज झटका लग सकता है।
लेकिन यदि घर में अर्थिंग की गई है तो मोटर के बॉडी पर बह रहे करंट को अर्थिंग वायर के द्वारा पुनः जमीन के अंदर भेज दिया जाता है जिससे व्यक्ति को झटका नहीं लगता। किसी भी घर का अर्थिंग कराना बहुत ही महत्वपूर्ण पार्ट होता है। अर्थिंग हमें अकस्मात घटनाओं से बचाती है। उपकरणों के फॉल्ट होने की स्थिति में बाहर बहने वाले करंट को सोखने का काम अर्थिंग का होता है।
Reasons For Earthing(अर्थिंग होना क्यों जरूरी है)
घरों में अर्थिंग क्यों कराना चाहिए इसके कारण कि अगर मैं बात करूँ तो इसका केवल एक ही कारण होता है जैसा कि हम पहले ही जान चुके हैं लेकिन मैं फिर से आपको बता दूं “अर्थिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जो हमें शॉक लगने से बचाती है और यही रीजन है कि हम घरों में अर्थिंग कराते हैं” अर्थिंग ना होने की स्थिति में उपकरणों के खराब होने पर शॉक लगने का खतरा बना रहता है इसी वजह से घर की वायरिंग करने के समय ही हमें अर्थिंग करा लेना चाहिए।
Types Of Earthing (अर्थिंग के प्रकार)
अर्थिंग मुख्य रूप से 4 प्रकार से की जाती है –
- छड़ अर्थिंग (Bar or Rod Earthing)
- प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing)
- पाइप अर्थिंग (Pipe Earthing)
- पत्ती अर्थिंग (Strip Earthing)
इन सभी अर्थिंग के बारे में डिटेल में जानना बहुत जरुरी है इसलिए हम एक एक करके सबके बारे में जानेंगे-
छड़ अर्थिंग (Bar or Rod Earthing)
इन चारो अर्थिंग में सबसे आसान और सस्ता अर्थिंग छड़ अर्थिंग है। और इसे बनाना भी बहुत आसान है। इसे बनाने में बहुत ही काम खर्च आता है। इसे कोई भी बहुत कम लागत में तैयार कर सकता है। तो चलिए जानते हैं कैसे इसे तैयार किया जाता है।
सबसे पहले किसी भी अर्थिंग को तैयार करने के लिए ज़रूरी मटेरियल होना आवश्यक है – जैसे चारकोल, नमक, छड़ या रॉड और वायर अगर इतनी सामग्री है तो एक बेसिक अर्थिंग सिस्टम तैयार किया जा सकता है।

अर्थिंग के लिए सबसे पहले एक गड्ढा बनाया जाता है इस गड्ढे में नमक और चारकोल की लेयर बिछा दिया जाता है। गड्ढे की गहराई लगभग 1.5 मीटर होनी चाहिए। ध्यान रहे की अर्थिंग की जगह नमी वाले स्थान पर होनी चाहिए। अब छड़ की गड्ढे में अच्छे से धसाकर मिटटी से गड्ढे की धक् दें और छड़ का ऊपरी सिरे की अर्थिंग वायर से जोड़ दें।अब छड़ को अर्थिंग वायर से कनेक्ट कर दें आपकी अर्थिंग तैयार हो गयी।
प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing)
अर्थिंग के प्रकार के नाम से ही इसमें इस्तेमाल होने वाले मुख्य मटेरियल के बारे में आप जान जाएंगे जैसा की आपको समझ आ रहा होगा की इस अर्थिंग में किसी प्लेट का इस्तेमाल किया जाता होगा तो आपको बता दूँ की इस अर्थिंग में दो प्रकार के एर्थिंग प्लेट का प्रयोग किया जाता है। पहला कॉपर जिसकी माप 60cm x 60cm x 3.18mm ( 2ft x 2ft x 1/8 in) होती है और दूसरा गाल्वेनाइज़्ड आयरन के प्लेट का प्रयोग किया जाता है।
इसे बनाने के लिए नमी वाले स्थान पर जमीन में लगभग १.५ मीटर का गड्ढा बनाकर उसमे सबसे पहले कॉपर की प्लेट को नट बोल्ट की हेल्प से जमीन में फिट कर दिया जाता है और फिर 15mm मोटी नमक और चारकोल की लेयर चारो तरफ से बिछा दिया जाता है।

इसके बाद अर्थिंग वायर को कॉपर की प्लेट में जोड़ दिया जाता है और एक पाइप की मदद से उस वायर को ऊपर लाया जाता है इस पाइप का व्यास लगभग 12.7 एमएम होता है साथ में एक और पाइप का इस्तेमाल किया जाता है जिसका व्यास 19 एमएम होता है।
इस पाइप का इस्तेमाल अर्थिंग में नमी को बनाए रखने के लिए किया जाता है। नमी वाले पाइप के ऊपरी हिस्से को कि अपनी मां बनाया जाता है ताकि पानी को डालने में आसानी हो।
पाइप अर्थिंग (Pipe Earthing)
प्लेट अर्थिंग की तरह पाइप अर्थिंग भी एक अर्थिंग का प्रकार है जिस प्रकार प्लेट अर्थिंग में कॉपर की प्लेट का इस्तेमाल किया जाता है उसी प्रकार पाइप अर्थिंग में 5 मीटर लंबा गेलवेनाइज्ड पाइप का इस्तेमाल किया जाता है जिसके निचले सिरे को नुकीला बनाया जाता है ताकि जमीन में सही से फिट किया जा सके।
इसके साथ-साथ पाइप के निचले हिस्से में जहां तक नमक और चारकोल की लेयर बनी होती है वहां तक लगभग 12 एमएम के कई छेद बनाए जाते हैं ताकि जब पाइप के द्वारा अर्थिंग में पानी डाला जाए तो वह पानी अर्थिंग वाले क्षेत्र में पूरी तरह से फैल जाए।
इस प्रकार के अर्थिंग के लिए कम से कम 4 मीटर गहरा गड्ढा खोदना पड़ता है इस गड्ढे में पाइप को धासा करके कम से कम 15 सेंटीमीटर मोटी नमक और चारकोल की लेयर लगा दी जाती है।

नमक और चारकोल के लिए के बाद पाइप के ऊपर हिस्से में रिड्यूजिंग सॉकेट का इस्तेमाल किया जाता है और इसके ऊपर 19 एमएम व्यास वाले 5 सॉकेट में जोड़ा जाता है। ऊपर वाले पाइप के ऊपर हिस्से को सीमेंट और कंक्रीट के द्वारा जाम कर दिया जाता है और अर्थिंग वायर को इसी पाइप से जोड़कर के बाहर निकाला जाता है।
अर्थिंग वायर निकालने के बाद एक और पाइप जिसका व्यास 12 एमएम का होता है जोड़ दिया जाता है और ऊपर ही से को कीपनुमा बना दिया जाता है। कीप वाले छेत्र से पानी अर्थिंग में डाला जाता है।
पत्ती अर्थिंग (Strip Earthing)
जैसा कि नाम से ही लग रहा है इसमें कुछ पत्तियों का इस्तेमाल किया गया होगा तो हां इस प्रकार की अर्थिंग में धातु की पतली पतली पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। धातु की पत्तियों को जमीन के अंदर गड्ढा खोदकर फिट दिया जाता है और अर्थिंग वायर के द्वारा इस धातु की पत्ती को जोड़कर इसे तैयार किया जाता है। यह अर्थिंग टेक्निक बहुत ही कम इस्तेमाल की जाती है।

इस आर्टिकल में हमने जाना कि अर्थिंग इन कितने प्रकार की होती है और अर्थिंग को किस प्रकार से बनाया जाता है। किसी भी प्रकार की अर्थिंग को बनाने के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि एक छोटी सी गलती से बड़ा हादसा हो सकता है।
सबसे पहले अर्थिंग के लिए एक उचित स्थान का होना आवश्यक है ज्यादातर लोग अर्थिंग के लिए घर के पीछे का हिस्सा चुनते हैं जहां पर छोटे बच्चों के आने जाने की संभावना कम होती है। किसी भी अर्थिंग के लिए ऐसे जगह का चुनाव करें जहां पर नमी बनी रहे।