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How To Install Solar Panel On Roofs | सोलर पैनल को कैसे लगाया जाता है ?

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आज के समय में बिजली हमारी सबसे बड़ी जरूरत बन गई है इसके बिना जिंदगी को जीना आसान नहीं है। अगर आप देखें तो आजकल हमें बिजली की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

क्योंकि कोयले के भंडार घट रहे हैं और कोयले से प्राप्त बिजली भले ही हमें पर्याप्त मात्रा में मिल जाती है लेकिन कहीं ना कहीं कोयला हमारे लिए बहुत घातक साबित हो रहा है। यह हमारे वातावरण को पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त कर रहा है जो कि हमारे लिए बहुत ही दुखद घटना है।

दुनिया भर की सरकारें इस प्रयास में लगी हुई हैं कि ऐसे तरीके निकाले जाएं जिससे कि हमारे वातावरण को कम से कम नुकसान हो, और हमें हमारी जरूरत की संसाधन उपलब्ध हो सके। सोलर पैनल इन्हीं संसाधनों में से एक है जैसा कि आपको पता होगा सोलर पैनल सूर्य द्वारा बिजली पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

यह सूर्य की किरणों को विद्युत ऊर्जा में बदल कर बैटरी में स्टोर कर देता है जिसका इस्तेमाल हम साधारण बिजली के जैसे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कर सकते हैं।

सबसे खास बात यह है कि सोलर पैनल से प्राप्त होने वाली बिजली पूर्ण रूप से प्राकृतिक है इसका मतलब हमारी प्रकृति को सोलर पैनल से किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाने वाला है। सोलर पैनल से बिजली बनाना बहुत ही आसान है।

एक बार अगर आप सोलर पैनल अपने घर पर इंस्टॉल करवा लेते हैं तो आपको कई सालों की छुट्टी मिल जाती है सोलर पैनल बहुत ही टिकाऊ होते हैं एक बार सोलर पैनल लगवाने के बाद आपको 25 से 30 सालों तक किसी भी तरह की मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा और बहुत ही आसानी से आप बिजली का इस्तेमाल अपने घर के कार्य के लिए कर सकते हैं।

कंपनियां सोलर पैनल पर 25 साल तक की वारंटी प्रोवाइड करते हैं और सोलर पैनल लगवाने पर हमारी सरकार हमें सब्सिडी भी देती है।

अगर मैं कम शब्दों में कहूं तो सोलर पैनल को लगवाना बहुत ही फायदेमंद है एक तो आपको महीने की बिजली बिल से छुटकारा मिल जाता है दूसरा 24 घंटे बिजली की सुविधा मिल जाती है। चाहे किसी भी प्रकार का मौसम है बिजली के जाने का कोई डर नहीं होता।

तो चलिए बात करते हैं How To Install Solar Panel On Roofs, क्या होता है सोलर पैनल को लगवाने का पूरा प्रोसीजर और सोलर पैनल से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां-

सबसे पहले बात करते हैं क्या होता है सोलर पैनल और कैसे बनाया जाता है और इसे बनाने के लिए कौन सी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जाती है। इसके बाद जानेंगे How To Install SOlar Panel On Roofs.

How Solar Panels Are Made

जितनी आसानी से हम सोलर पैनल का इस्तेमाल कर लेते हैं एक्चुअल में सोलर पैनल को बनाना इतना आसान नहीं होता है एक सोलर पैनल करीब 18 स्टेप्स में बनकर तैयार होता है और इसे बनाने में करीब 20 से 25 मशीनें लगी होती हैं

भारत में ऐसी बहुत सी कंपनियां हैं जो सोलर पैनल को बनाने पर काम कर रहे हैं क्योंकि आने वाले समय में सोलर पैनल बिजली का सबसे महत्वपूर्ण साधन होने वाला है।

Steps To Make Solar Panel

  • Cell Cutting: लेजर कटिंग मशीन का इस्तेमाल करके आवश्यकता अनुसार सेल कटिंग की जाती है।
  • Stringing Process: इस प्रक्रिया में सेल को जोड़ करके मशीन के द्वारा वायरिंग की जाती है सेल के ऊपर का पार्ट नेगेटिव (-) और नीचे का पॉजिटिव (+)होता है।
  • Solar Glass: वायरिंग के बाद सेल के ऊपर 1 लेयर चढ़ा दी जाती है जिसे हम सोलर ग्लास कहते हैं जोकि इथाईलीन विनाइल एक्टेड से बना होता है।
  • Visual Inspection: सोलर ग्लास चढ़ाने के बाद एक्सपोर्ट के द्वारा स्कीम मैनुअल जांच की जाती है।
  • Taping : कई सारे सेल को मिला करके एक साथ जोड़ने की प्रक्रिया को Tapping कहा जाता है।
  • Connection : Tapping के बाद सारे कनेक्शन को एक साथ जोड़ दिया जाता है।
  • Insulate Module Connection: धूल कण और नमी से बचाने के लिए सारे कनेक्शन को एक पतले लेयर से ढक दिया जाता है।
  • Mirror Observation: इसके बाद सोलर पैनल को मैनुअली चेक किया जाता है कि कोई धूल कर दिया फिर कलर में मिसमैच तो नहीं है।
  • EI Testing: आई टेस्टिंग बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता है अब तक किए गए सारे प्रोसेस को मैनुअली मशीन के द्वारा चेक किया जाता है जिसमें यह पता लगाया जाता है कि सभी सेल अच्छे से काम कर रहे हैं या किसी सेल में किसी प्रकार की कमी जैसे कमजोर सेल्, या सेल में कोई क्रैक तो नहीं इस प्रकार की कोई भी समस्या मिलने पर दोबारा प्रोसेस को किया जाता है।
  • Lamination Process: यदि पैनल यही टेस्टिंग में पास हो जाता है तो पैनल की लेमिनेशन की जाती है जिसने पैनल को 140 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है और लेमिनेशन प्रोसेस किया जाता है प्रोसेस कंप्लीट होने के बाद पैनल को 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि पैनल फिर से ठंडा होकर रूम टेंपरेचर पर आ जाए
  • Trimming Backsheet: पैनल में अगर कोई भी एक्सेस मटेरियल है तो उसे काट कर निकाल दिया जाता है जिसे ट्रीमिंग कहा जाता है।
  • Frame Cutting: सोलर पैनल के साइज के अनुसार प्रेम की कटिंग की जाती है ताकि इस पैनल को फ्रेम में फिट किया जा सके।
  • Sealant Filling / Framing: सिलेंडर फिलिंग पैनल को धूल का और नमी से बचाने के लिए की जाती है।
  • Fixing Junction box: जंक्शन बॉक्स सोलर पैनल को कनेक्शन प्रोवाइड करता है।
  • Clean Module : इस प्रक्रिया में पैनल को क्लीन किया जाता है।
  • Module Testing: सोलर पैनल बनने के बाद अंत में इसकी टेस्टिंग की जाती है।
  • Packing: टेस्टिंग कंप्लीट होने के बाद यदि सोलर पैनल पूर्ण रूप से कार्य करता है तो इसे पैक कर दिया जाता है।

Benifits Of Solar Panels

सोलर पैनल लगवाने के बहुत सारे बेनिफिट्स हैं जैसे कि एक बार सोलर पैनल लगाने के बाद आपको महीने की बिजली का बिल भरने से छुटकारा मिल जाता है। सोलर पैनल से प्राप्त बिजली का वातावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता पूरी तरह से एक ग्रीन एनर्जी का रिसोर्स है।

सोलर पैनल को बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है। सोलर पैनल से बिजली प्राप्त करने के लिए पैनल को पर्याप्त मात्रा में सूर्य की लाइट मिलना आवश्यक है यही कारण है कि सोलर पैनल को छत पर लगाना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है।

जो बिजली के कनेक्शन हमारे घरों में आते हैं उन पर हमें महीने की हजारों रुपए बिल के तौर पर देना पड़ता है। सोलर पैनल एक बार लगवाने के बाद आपको इस बिल से छुटकारा मिल जाता है और साथ में बिजली के कभी भी आने या जाने का डर नहीं रहता आपको 24 घंटे बिजली मिल सकती है।

  • सोलर पैनल को छत पर बहुत ही आसानी से लगाया जा सकता है।
  • सोलर पैनल से प्राप्त बिजली को आप बेच भी सकते हैं।
  • 20 से 25 सालों तक फ्री बिजली का लाभ उठा सकते हैं।
  • सोलर पैनल लगाने पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है।

सोलर पैनल इंस्टॉल करवाने में लगभग एक लाख का खर्च आता है लेकिन अगर आपके पास पर्याप्त पैसे नहीं है तो आप सोलर पैनल के लिए बैंक से लोन भी ले सकते हैं। सरकार द्वारा प्राप्त सब्सिडी की मदद से 60 से 70 हजार के खर्च में सोलर पैनल इंस्टॉल करवाया जा सकता है।

सरकार द्वारा निर्धारित नियम के अनुसार यदि सोलर पैनल से प्राप्त बिजली की खपत आप नहीं कर पाते हैं तो आप उसे सरकार को या किसी कंपनी को बेच भी सकते हैं सरकार द्वारा निर्धारित रेट के हिसाब से आपको उसकी कीमत मिल जाएगी।

How To Install Solar Panel On Roofs

सोलर पैनल को छत पर लगाने का कारण यह है कि सोलर पैनल को पर्याप्त मात्रा में सूर्य की किरण मिल जाती है जिससे कि हमें पर्याप्त मात्रा में बिजली प्राप्त हो जाती है। तो चलिए जानते हैं How To Install Solar Panel On Roofs यदि आप अपने छत पर सोलर पैनल लगाना चाहते हैं। तो इस प्रोसीजर को फॉलो कर सकते हैं क्योंकि बहुत बार ऐसा होता है कि हम ऑनलाइन सोलर पैनल तो खरीद लेते हैं लेकिन हमें पता नहीं होता कि How To Install Solar Panel On Roofs, या फिर कितने डिग्री पर उसको रखना है।

How Structure Should Be Ready

Requirement

  • Front Leg (Height 50 cm) : इस लेग को एक ही दिशा में खड़ा कर दिया जाता है।
  • Back SIde Leg (Height 83 cm) : बैक साइड लेग को भी पीछे एक ही दिशा में खड़ा कर दिया जाता है।
  • Rafter (Height 135 cm) : फ्रंट और बैक साइड को जोड़ने वाले चैनल को राफ्टर कहते हैं।
  • Nut and Bolts (6 mm) : नट और बोल्ट की सहायता से लेग और राह पर को जोड़ा जाता है।
  • Wrench and Spinner (Size 19 mm): नेट और बोर्ड को करने के लिए स्पिनर की जरूरत पड़ती है।
  • Joint Plate : चैनल और राफ्टर को एक साथ जोड़ने के लिए ज्वाइन प्लेट की आवश्यकता पड़ती है।
  • Channel (size 202 cm): चैनल को ज्वाइन प्लेट की मदद से फ्रंट और बैक साइड लाइन पर फिट कर दिया जाता है।
How To Install Solar Panel On Roofs

How Solar Panel Installation Should Be Done

Battery Connection

  • सोलर पैनल का स्ट्रक्चर रेडी होने के बाद पैनल को नत बोल्ट की हेल्प से स्ट्रक्चर पर फिक्स कर दिया जाता है।
  • सरे सोलर पैनलस को पैरेलल कनेक्शन में जोड़ा दिया जाता है।
  • अब बैटरी और इन्वेर्टर को जोड़ने का प्रोसेस स्टार्ट होता है।
  • 1KW सोलर पैनल के लिए 150AH की 2 बैटरी लगानी पड़ती है। और साथ में सोलर इन्वेर्टर की ज़रूरत पड़ती है।
  • बैटरी और सोलर इन्वेर्टर को ऐसी जगह पर रखें ताकि इसपर पानी न पड़ सके।
  • दोनों बैटरी को सीरीज में कनेक्ट में करते हैं ताकि एम्पियर बढ़ जाए और वोल्टेज सामान मिल सके।
  • बैटरी को सीरीज में जोड़ने के लिए एक वायर के एक सिरे को प्लस और दूसरे सिरे को माइनस से जोड़ते हैं।
  • वायर को नुत बोल्ट की हेल्प से अच्छे से जोड़ लें ताकि स्पार्क की समस्या न हो।

Invertor Connection

  • सोलर पैनल इनवर्टर को आपस में जोड़ने के लिए DC वायर की आवश्यकता पड़ती है
  • 3 in one MC4 conncetor को दोनों वायर के सिरों पर जोर दिया जाता है
  • प्लस और माइनस का ध्यान रखते हुए रेड वायर को प्लस और ब्लैक वायर को माइनस रखें।
  • इसके बाद इन्वेर्टर के बैक साइड में मौजूद पोर्ट में दोनों वायर को जोड़ दें।
  • आपका इंस्टालेशन पूरी तरह से हो गया है अगर फिर भी लाइट नहीं आ रही है तो एक बार चेक कर लें की प्लस और माइनस वायर में कोई प्रोब्ले तो नहीं है।
How To Install Solar Panel On Roofs

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सोलर पैनल को कितने डिग्री पर लगाना चाहिए?

सोलर पैनल का एंगल मौसम के अनुसार होना चाहिए क्युकी अलग अलग मौसम में सूर्य की किरण की मात्रा अलग एंगल पर होती है।
गर्मी के मौसम में सूर्य की किरणे सीधी पड़ती हैं इसलिए पैनल का एंगल 20 से 2५ डिग्री के बिच होना चाहिए। वसंत ऋतू में यही एंगल बढ़कर ४० से ४५ डिग्री हो जाता हैं। इसी प्रकार ठंढ में एंगल बढ़कर ६० से ७० डिग्री तक जाता है।

सोलर पैनल का कनेक्शन कैसे होता है?

एक से अधिक सोलर पैनल को एक साथ जोड़ने के लिए Mc4 कनेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है। इस कनेक्टर की मदद से सभी सोलर पैनल को समांतर क्रम में जोड़ दिया जाता है ताकि हमें बराबर मात्रा में करंट मिल सके Mc4 कनेक्टर में तीन वायर एक तरफ से जोड़े जाते हैं और एक वायर एक तरफ निकलता है जिसको बैटरी से या इन्वेर्टर से जोड़ दिया जाता है।

सबसे अच्छा सोलर पैनल कौन सा होता है?

सोलर पैनल दो प्रकार की होते हैं:
१.Polycrystalline:- इस सोलर पैनल का इस्तेमाल अच्छे मौसम वाले क्षेत्र में किया जाता है। जहाँ पर धुप प्रायप्त मात्रा में होती है वहां पर इन पैनल्स का इस्तेमाल किया जा सकता है।
२.Monocrystalline :-क्षमता के अनुसार अगर बात किया जाए तो इस पैनल की क्षमता अधिक होती है इस सोलर पैनल का इस्तेमाल ऐसी जगह पर किया जाता है जहां पर धुप कम होती है यानी कि जिन जगहों पर मौसम अधिकतर खराब रहते हैं वहां पर इन सोलर पैनल का इस्तेमाल किया जाता है। यह सोलर पैनल कम धूप में भी अधिक ऊर्जा स्टोर कर लेते हैं यही कारण है कि इनकी कीमत भी पहले सोलर पैनल से अधिक होती है।

1 किलोवाट क्या होता है?

किलोवाट ऊर्जा को मापने की इकाई है और 1 किलो वाट 1000 वाट के बराबर होती है।

1 किलो वाट के पैनल से क्या क्या चल सकता है?

1 किलो वाट के सोलर पैनल से प्राप्त ऊर्जा से हम ४ एलईडी बल्ब, 4 पंखा और 1 टीवी लगातार 4 घंटे तक चला सकते हैं।

सोलर पैनल के अंदर क्या होता है?

एक सोलर पैनल छोटे-छोटे सेल जोड़ करके बनाया जाता है इन सेलों को फोटोवोल्टिक सेल कहते हैं। क्युकी सूर्य की किरणों को स्टोर करके करंट में बदलना इनकी प्रॉपर्टी है।

सोलर इनवर्टर की कीमत क्या है?

इंडिया में सोलर इनवर्टर की कीमत 5 से ₹10प्रति वाट के हिसाब से बदलती है। लेकिन अगर बात करें शुरुआती कीमत की तो इसकी कीमत लगभग 7000 रुपए से शुरुआत होती है। जिसकी छमता 1100 VA /12V होती है।

Mc4 कनेक्टर क्या होता है ?

Mc4 एक प्रकार का कनेक्टर है जिसका इस्तेमाल सोलर पैनल को एक साथ कनेक्ट करने में किया जाता है। इस कनेक्टर की मदद एक से अधिक सोलर पैनल को एक साथ जोड़ना बहुत आसान होता है। ये कई तरह के हो सकते हैं इनमे पेयर्स की संख्या ३, ४ , ५ से अधिक हो सकती है। जैसे (3 in 1), (4in 1) or (5 in 1).

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Er. Durgesh

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