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UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 7: मेरी शिक्षा

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Chapter 7- मेरी शिक्षा

👉 मेरी शिक्षा  शब्दार्थ

शब्द अर्थ
तरतर तेजी-से
कबूल स्वीकार
सुपुर्द सौंपना
जिम्मेदारी में देना
दरख्त पेड़
बिसमिल्लाह शुभारंभ
सबक सीख, पाठ
अक्षरारम्भ लिखने की शुरुआत
बेखौफ निडर

मेरी शिक्षा पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ डॉ० राजेन्द्र प्रसाद जी की ‘आत्मकथा’ से लिया गया है। इन्हें पाँचवें या छठे वर्ष में मौलवी द्वारा फारसी पढ़वाना शुरू किया था। इनके दो और चचेरे भाई थे। इनमें यमुना प्रसाद लीडर थे, जो तमाम खेलों और शैतानी में आगे थे। इनके चचा बलदेव प्रसाद बहुत मजाकिया थे। वे घुड़सवारी, बन्दूक व गुलेल चलाना अपने पिता जी की तरह ही जानते थे। मौलवी साहब विचित्र आदमी थे। वे बलदेव चाचा द्वारा अपना मजाक उड़वाते रहते थे। अपने दावे के अनुसार उन्हें शतरंज खेलना आता था, परन्तु खेल में वे जीतते कभी नहीं थे। उन्हें गुलेल चलाना भी आता था, परन्तु जब एक बन्दर मारने के लिए उन्होंने गुलेल चलाई; तब अपने हाथ पर ही चोट मार ली। एक दिन शाम को वे टहल रहे थे कि एक साँड़ आ गया। बलदेव चचा के इशारे पर मौलवी साहब बेखौफ आगे बढ़े कि साँड़ ने उन्हें पटक दिया। पेड़ पर गिद्ध मारने को मौलवी साहब ने बन्दूक का घोड़ा दबा दिया। गिद्ध के बजाय वे स्वयं ही गिर पड़े।

इस प्रकार के मजाकिया माहौल में फारसी की पढ़ाई चली। इन मौलवी साहब के जाने पर दूसरे गम्भीर मौलवी साहब आए। वे हफ्ते में साढ़े पाँच दिन फारसी पढ़ाते थे। वे एक कोठरी में रहते थे। सवेरे आकर पहला पाठ दोहराकर तब दूसरा पाठ पढ़ाते। सूरज निकलने पर नाश्ते के लिए आधे घंटे की छुट्टी मिलती। दोपहर में नहाने व खाने के लिए डेढ़ घंटे की छुट्टी मिलती और तख्तपोश पर सोना पड़ता था। मौलवी साहब चारपाई पर सोते थे। दोपहर बाद सबक याद कर सुनाने पर ही खेलने की छुट्टी मिलती।

संध्या को जल्दी नींद आती। जमनाभाई जल्दी छुट्टी का उपाय करते। वे रेत की पोटली दीये में छिपाकर रख देते। तेल जल्दी सूखने पर दीया बुझ जाता। मौलवी साहब मजबूर होकर किताब बन्द करने का हुक्म देते। .

इस प्रकार, फारसी का ज्ञान पाकर, फिर अंग्रेजी पढ़ने के लिए घर छोड़कर छपरा जाना पड़ा। घर छोड़ने से मौलवी साहब और अन्य को बहुत दुख हुआ।

UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 7:- मेरी शिक्षा

मेरी शिक्षा अभ्यास प्रश्न

👉 शब्दों का खेल

प्रश्न १. (क) छोटे-बड़े, इधर-उधरः यहाँ विलोम अर्थ देनेवाले शब्दों की जोड़ी बनी है। इसी प्रकार के शब्दों के जोड़े (शब्द युग्म) पुस्तक से ढूँढ़कर लिखो।
उत्तर:- विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 7:- मेरी शिक्षा

(ख) धीरे-धीरे, तरह-तरहः यहाँ एक ही शब्द की आवृत्ति (बार-बार आना) हुई है, इसी प्रकार के पाँच शब्दों के जोड़े ढूँढकर लिखो।
उत्तर:- विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न २. नीचे लिखे शब्दों के तत्सम रूप लिखो- (तत्सम रूप लिखकर)

शब्द तत्सम
दीयादीप
धरम धर्म
करम कर्म
बरस वर्ष

प्रश्न ३.नीचे दिए शब्दों के समानार्थी शब्द लिखो- (समानार्थी शब्द लिखकर)

शब्दसमानार्थी शब्द
किताब पुस्तक
परिवार कुटुम्ब
खूनरुधिर
हफ्ता सप्ताह
घोड़ा खटका
संध्या शाम

प्रश्न ४. ‘बेखौफ’ शब्द में ‘बे’ उर्दू का उपसर्ग जुड़ा है। यह उपसर्ग शब्द जुड़कर उसका अर्थ उलटा कर देता है। खौफ का अर्थ होता है- भय, परन्तु बेखौफ का अर्थ निर्भय हो जाता है। इसी प्रकार इन शब्दों के अर्थ लिखो- (लिखकर)

शब्द अर्थ
बेदाग बिना दाग, दागरहित
बेकसूर बिना कसूर, निर्दोष
बेघरबिना घरवाला
बेवजह बिना कारण, अकारण
बेहिसाब बिना गिनती
बेहया बिना शर्म, बेशरम, निर्लज्ज

भाव बोध

प्रश्न १. उत्तर दो
(क) बालक राजेन्द्र प्रसाद की शिक्षा कब व कहाँ हुई?
उत्तर:- बालक राजेन्द्र प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा पाँचवें या छठे वर्ष में, घर पर ही, मौलवी साहब द्वारा हुई।

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(ख) उनके साथ कौन-कौन पढ़ता था?
उत्तर:- उनके साथ कुटुम्ब के ही दो चचेरे भाई पढ़ते थे।

(ग) पहले मौलवी साहब किस आदत के कारण मजाक का पात्र बनते थे?
उत्तर:- पहले मौलवी साहब न जानते हुए भी सब कुछ जानने व करने का दावा करते थे; जबकि दूसरे मौलवी साहब गम्भीर थे और अच्छा पढ़ाते थे। वे रही अर्थ में शिक्षक थे।

(घ) पहले मौलवी साहब व दूसरे मौलवी साहब में क्या अन्तर था?
उत्तर:- पहले मौलवी साहब कुछ न जानते हुए भी सब कुछ जानने व करने दावा करते थे; जबकि दूसरे मौलवी साहब गम्भीर थे और अच्छा पढ़ाते थे। वे सही अर्थ अर्थ में शिक्षक थे।

(ङ) देर तक न पढ़ना पड़े, इसके लिए जमनाभाई क्या चाल चलते थे?
उत्तर:- देर तक न पढ़ना पड़े, इसके लिए जमनाभाई दीये में रेत की पोटली डालकर तेल समाप्त कर देते थे। मजबूर होकर मौलवी साहब किताब बन्द करने का हुक्म देते थे।

प्रश्न २:- उन घटनाओं का वर्णन करो(क) पहली घटना-जब मौलवी साहब को बन्दूक से चोट लगी।
उत्तर:- बलदेव चाचा ने मौलवी साहब को बन्दूक चलाना सिखाना चाहा। कोई काम न जानने की बात कबूल करना मौलवी साहब की शान के खिलाफ था। उन्होंने कह दिया कि मैं अच्छा निशाना लगाना जानता हूँ। पेड़ पर बैठे हुए गिद्ध को मारने के लिए खड़ी बन्दूक चलाने की आवश्यकता थी। मौलवी साहब बन्दूक चलाना जानते तो थे नहीं, लिहाजा घोड़ा दबाते ही वे खुद गिर पड़े।

(ख) दूसरी घटना- जब मौलवी साहब के अंगूठे से खून टपकने लगा।
उत्तर:- बलदेव चाचा ने बाग में बन्दर आने की बात कही, जिन्हें गुलेल से भगाया जा सकता था। गुलेल का नाम सुनते ही मौलवी साहब बोल उठे कि मुझे गुलेल चलाना खूब आता है। चाचा ने मौलवी साहब से गुलेल से एक बन्दर मारने के लिए कहा। मौलवी साहब ने गुलेल को खूब खींचकर बन्दर को गोली मारी और देखना चाहा कि उसे चोट कैसे लगती है। इतने में उनके बाएँ अँगूठे से तर-तर खून टपकने लगा और चोट के दर्द से वे सहमकर बैठ गए। गोली बन्दर को मारने के बजाय वे खुद को ही मार बैठे थे।

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अब करने की बारी

👉 नोट – प्रश्न १ व ३ के उत्तर विद्यार्थी स्वयं करें।

२. स्वाधीन भारत के राष्ट्रपति

१. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद
२. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद
३. डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन
४. डॉ० जाकिर हुसैन

स्व० वी०वी० गिरी (कार्यवाहक)
स्व० मुहम्मद हिदायतुल्ला (कार्यवाहक)
५. स्व० वी०वी० गिरी
६. स्व० फखरुद्दीन अली अहमद

स्व० बी०डी० जत्ती (कार्यवाहक)
७. स्व० नीलम संजीव रेड्डी
८. स्व० ज्ञानी जैल सिंह
६. स्व० रामास्वामी वेंकटरमन
१०. डॉ० शंकरदयाल शर्मा
११. के०आर० नारायणन
१२. डॉ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम
१३. श्रीमती प्रतिभा पाटिल
१४. श्री प्रणब मुखर्जी

👉 इसे भी जानो
नोट– छात्र स्वयं लिखे।

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Ajay Sir

Ajay Sir

नमस्कार 🙏🏻🙏🏻 मेरा नाम अजय है और मै एक अध्यापक हूँ !! मै हमेशा बच्चो के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ ! इस वेबसाइट के माध्यम से मै आपको आने वाले सभी सरकारी नौकरियों से अवगत कराने के प्रयास रहेगा !! इसके अलावा अन्य जानकारी मिलती रहेगीं !!